Anshu Gupta
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देखा है मैंने
पीले पत्तों को टूटते,गिरते
गिर कर उड़ते
ये है अटल सत्य
प्रकृति का नियम
पुराने का गमन,नए का आगमन
कुछ अधूरा नहीं रहता
डालिया करती है नए पत्तों का स्वागतम
लेकिन जब टूटती है हरी डालिया,
चमकीले हरे पात
तो वृक्ष नहीं सह पाता ये
क्षति ये आघात
कैसे हो ये पूर्ति?
कैसे जुड़े खंडित मूर्ति?
यू ही हम सब पत्तों के बीच से
ले गई हवा तुमे खीच ke
सूनी सूनी सी लगती है ये डाली
हम सब है!पर तुम्हारी जगह खाली
हमे पता है
हम तुम से कभी नहीं मिल पाएगे
शायद तुम आओ वसंत मे
पर उससे पहले
हम सब झड़ जाएगे………………………
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