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कांटेस्ट- हिंदी ब्लॉगिंग ‘हिंग्लिश’ स्वरूप को अपना रही है। क्या यह हिंदी के वास्तविक रंग-ढंग को बिगाड़ेगा या इससे हिंदी को व्यापक स्वीकार्यता मिलेगी?

Anshu Gupta
Anshu Gupta
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आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठ समुद्र्माप: प्रविशन्ति यद्दत |
तद्वात्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे स शान्तिमाप्नोति न कामकामी |

जिस प्रकार सब और से अचल प्रतिष्ठा बाले समुद्र के प्रति नाना नदियों के जल उसको चलायमान न करते हुए भी उसमे समा जाते है,,,,,,,,,,उसी प्रकार हिंदी भाषा वह समुद्र है जिसमे सैकड़ो भाषाए ……बिना उसके मूल स्वरुप को परिवर्तित किये समाहित हो जाती है…!
प्रथक प्रथक भाषायो का अपना अस्तित्व होते हुए भी हिंदी रुपी समुद्र में मिल के सभी समुद्र ही बन जाती है……. संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है…वह सबसे अधिक सरल भाषा है…वह सबसे अधिक लचीली भाषा है….वह एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवादविहीन हैं तथा….वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है….हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है।
हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्दरचनासामर्थ्य विरासत में मिली है। वह देशी भाषाओं एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती। अंग्रेजी के मूल शब्द लगभग १०,००० हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से भी अधिक है।…हिन्दी बोलने एवं समझने वाली जनता पचास करोड़ से भी अधिक है।…हिन्दी का साहित्य सभी दृष्टियों से समृद्ध है।…..हिन्दी आम जनता से जुड़ी भाषा है तथा आम जनता हिन्दी से जुड़ी हुई है। हिन्दी कभी राजाश्रय की मुहताज नहीं रही।…….भारत के स्वतंत्रता-संग्राम की वाहिका और वर्तमान में देशप्रेम का अमूर्त-वाहन….भारत की सम्पर्क भाषा…….भारत की राजभाषा है….!
हिंदी भाषा का इतिहास रहा है की समय समय पर उसकी बोलचाल एवं लीकित अभिव्यति में अनेको नयी भाषाओ के शब्दों का समावेश हुआ है ……जैसे मध्यकाल के दौरान …..अवधि में हिंदी में बहुत परिवर्तन हुए। देश पर मुगलों का शासन होने के कारन उनकी भाषा का प्रभाव हिंदी पर पड़ा। परिणाम यह हुआ की फारसी के लगभग 3500 शब्द, अरबी के 2500 शब्द, पश्तों से 50 शब्द, तुर्की के 125 शब्द हिंदी की शब्दावली में शामिल हो गए। यूरोप के साथ व्यापार आदि से संपर्क बढ़ रहा था। परिणाम स्वरूप पुर्तगाली, स्पेनी, फ्रांसीसी और अंग्रेजी के शब्दों का समावेश हिंदी में हुआ। मुगलों के आधिपत्य का प्रभाव भाषा पर दिखाई पड़ने लगा था। मुगल दरबार में फारसी पढ़े-लिखे विद्वानों को नौकरियां मिली थी परिणामस्वरूप पढ़े-लिखे लोग हिंदी की वाक्य रचना फारसी की तरह करने लगे। इस अवधि तक आते-आते अपभ्रंश का पूरा प्रभाव हिंदी से समाप्त हो गया जो आंशिक रूप में जहां कहीं शेष था वह भी हिंदी की प्रकृति के अनुसार ढलकर हिंदी का हिस्सा बन रहा था।
तदोपरांत,हिंदी का आधुनिक काल देश में हुए अनेक परिवर्तनों का साक्षी है। परतंत्र में रहते हुए देशवासी इसके विरुद्ध खड़े होने का प्रयास कर रहे थे। अंग्रेजी का प्रभाव देश की भाषा और संस्कृति पर दिखाई पड़ने लगा। अंग्रेजी शब्दों का प्रचलन हिंदी के साथ बढ़ने लगा। मुगलकालीन व्यवस्था समाप्त होने से अरबी, फारसी के शब्दों के प्रचलन में गिरावट आई। फारसी से स्वीकार क, ख, ग, ज, फ ध्वनियों का प्रचलन हिंदी में समाप्त हुआ।
‘परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है’………..वास्तव में प्रतिवर्तन ही प्रगति है….इसी परिवर्तन का वास्तविक स्वरुप है ‘हिंगलिश’….कोई मूल भाषा नहीं है..
हिंग्लिश, शब्दों “हिन्दी तथा “इंग्लिश” का मिश्रण है जिसका अर्थ है दोनों भाषाओं का एक वाक्य में इकट्ठे प्रयोग करना। इसका प्रयोग अधिकतर भारत के हिन्दी-भाषी राज्यों के शहरी तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में देखी जाता है जो कि टेलीविजन, मोबाइल फोन तथा मौखिक सम्पर्क के जरिये धीरे-धीरे ग्रामीण तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में भी फैल रही है तथा धीरे-धीरे वर्नाकुलर स्थिति को प्राप्त हो रही है।
कई बोलने वाले जानते ही नहीं कि वे हिन्दी वाक्यों में अंग्रेजी शब्द या अंग्रेजी वाक्यों में हिन्दी शब्द घुसा रहे हैं। डेविड क्रिस्टल जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ वेल्स में एक ब्रिटिश भाषा-विज्ञानी हैं, ने २००४ में परिकलन किया कि ३५० मिलियन पर, विश्व के हिंग्लिश बोलने वाले जल्दी ही मूल अंग्रेजी बोलने वालों से अधिक हो जायेंगे।देश व दुनिया ‘कंप्यूटर क्रांति’युग में जी रहे रहे..सुब कुछ फ़ास्ट हो गया है,,,,,,पहले से बहुत फ़ास्ट ,फिर अभिव्यक्ति की गति कम कैसे हो सकती है,,,आज हिंदी को स्वयं रोचक,लचीली……जल्दी व आसानी से समझ में आने वाली भाषा बनाने के लिए अंग्रेजी के शब्दों स्वयं में समाहित करना आवश्यक हो गया है ……….और इस रोचक परिवर्तन के पश्चात हिंदी और इंग्लिश का गटबंधन बन गया आज की ‘हिंदी’ ….|
रोज मर्रा की बोलचाल हो………..स्कूल ,कालेज,व्यापारी वर्ग…….युवा,वृद्ध…..सभी हिंदी के इस हिंग्लिशिया परिवर्तन को आत्मसत् कर चुके व पूर्ण रूप से प्रयोग कर रहे है……हिंदी लेखन की बात करे तो बह भी हिंदी के इस नए परिवर्तन से अछूता नहीं है…. बड़ी संख्या में लेखो,कहानियों,उप्पन्यसो…….में हिंगलिश का उपयोग हो रहा है……….इसी क्रम में प्रतिदिन हजारो ‘हिंदी चिट्ठे’ ……इन्टरनेट पर पोस्ट हो रहे है और ….विचारो की अभिव्यक्ति का हिंग्लिशिया माध्यम बन रहे है……..और हिंदी भाषा को नया आयाम प्रदान कर रहे है |
स्तम्भकार देवयानी चौबल पहली लेखिका थीं जिन्होंने अपने लेखन में हिंग्लिश का प्रयोग किया। फिर लेखिका शोभा डे ने अपनी किताबों तथा भारतीय पत्रिका स्टारडस्ट के कॉलमों में हिंग्लिश तत्वों का प्रयोग करना शुरु किया। सलमान रुश्दी तथाउपमन्यु चटर्जी अन्य लेखक हैं जिन्होंने अपने उपन्यासों में हिंग्लिश का बहुतायत से प्रयोग किया है।
२००५ में, बलजिन्दर कौर महल (पेन नाम बी॰ के॰ महल) ने कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित द क्वीन्स हिंग्लिश: हाउ टू स्पीक पुक्का नामक किताब लिखी।
दुनिया में कहीं – एक भाषा हर दो हफ्ते में मर जाती है. दुनिया की आधी भाषाएँ अगली सदी में बोली नहीं जाया करती है. यह एक अत्यंत गंभीर चिंता का विषय है. हिन्दी दुनिया में दूसरा सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है.,,,,,,,,,,आज हिंदी को अपनी व्यवहारिकता,उपयोगिता,…व व्यापकता को बनाये रखने के लिए ये परिवर्तन आवश्यक हो गया है……अन्यथा ‘संस्कृत’जैसी ‘प्राकृतिक’ एवं ‘प्राचीन’ भाषा आज केवल पूजा पाठ एवं कर्मकांडो की भाषा बन कर रह गयी क्योकि ‘संस्कृत’में दूसरी भाषाओ के शब्दों की कोई गुंजाईश नहीं थी……..परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है……और विकास की आवश्यकता भी……हिंदी के इस नव परिवर्तन से हिंदी भाषा का कोई नुकसान नहीं है …न ही उसके वास्तविक रूप को बिगाड़ रही है |
‘पेन’….’कंप्यूटर’….’मोबाइल’…..’इन्टरनेट’……’चैट’…….’स्कूल’….’कॉलेज’……’टाइम’…..’ऑफिस’…..’एग्जाम’….’इंटरव्यू’ ..जैसे अंग्रेजी शब्द जुबान और कलम दोनों पर यु विराजमान हो गए है जैसे ये हिंदी के ही शब्द हो……’माँ कहती है “स्कूल स्लोली जाना”…….पापा कहते है “टाइम क्या हुआ”…… बच्चे कहते है मम्मी….लंच बॉक्स देदो……टी.वी और सिनेमा की बोलचाल पूर्णरूपेण ‘हिंगलिश’ है…..तो फिर हिंदी का ब्लॉग के क्षेत्र में फिलहाल एक जीवंत स्थान है. ब्लॉगर चीजों की एक श्रृंखला पर टिप्पणी ,नवाचार और चर्चा के लिए एक जगह बन गया है. हिंदी के अन्य रोचक पहलू भाषा की कि नया रूप (हिंगलिश) देश में लहरें पैदा कर रही है. एक ब्रिटिश विशेषज्ञ ने हाल ही में कहा कि हिंग्लिश – व्यापक रूप से भारत में बोली जाने वाली हिंदी और अंग्रेजी का एक मिश्रण, – यह रूप जल्द ही भाषा की रानी का सबसे आम रूप बन सकता हैं.
‘हिंगलिश ‘ लोकप्रिय हो रही है …..सभी प्रान्तिये भाषाए अंग्रेजी शब्दों के साथ अपना अपना ब्रांड बना रही है……जैसे एक बिहारी बाबू के.बी,सी …में बोल रहे थे की “मै थोडा नर्वसिया रहा हूँ…………………..”,”थारा ‘मैंड’ ख़राब है के ? ….इस प्रकार के सैकड़ो उदहारण हो सकते है,,,,,,लेकिन ये सभी तथ्य इस बात का पुरजोर समर्थन करते है …….हिंदी का ये नया रूप सर्वत्र स्वीकार्य है व हिंदी के विकास एवं उत्थान में सहायक है|

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