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“नव परिवर्तनों के दौर में हिन्दी ब्लॉगिंग”-contest

Anshu Gupta
Anshu Gupta
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विगत वर्षो में ‘मीडिया जगत ‘ में क्रन्तिकारी परिवर्तन द्रष्टिगोचर हुए है !प्रिंट,रेडिओ,दूरदर्शन ..पत्र पत्रिकाए ,टी.वी चैनल तो प्रचार प्रसार के सशक्त माध्यम तो थे ही अपितु अब विचारो की अभिवयक्ति का सबसे तीव्र माध्यम ‘सोशल मीडिया ‘बन चुका है!
मुख्य रूप से वेब साईट ,न्यूज़ पोर्टल,इ-मेल ,फेसबुक,ट्विटर,ब्लॉग फोरम,चैट….. सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति के सशक्त एवं द्रुतगामी माध्यम बन चुके है,मात्र एक दशक में यह नव मीडिया स्वयं को पूर्णतया स्थापित व विकसित कर चुका है…..कंप्यूटर एवं मोबाइल के उपयोग में इन्टरनेट के पाव घर घर में फैला दिए है!
इन्टरनेट पर विचारो की अभिव्यक्ति की बात करे तो …सर्वप्रथम ‘अंग्रेजी भाषा’ के ब्लॉग प्रकट हुए जो आम आदमी की समझ से परे हुआ करते थे,अंग्रेजी जानने व बेहतर समझने बाले लोग ही इन ब्लोग्स से जुड़े हुए थे….धीरे धीरे ब्लोगिंग के क्षेत्र में हिंदी ने अपने कदम रखे,,,,,और ये शुरुआती कदम हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित हुए!अंग्रेजी ब्लॉग शब्द का अविष्कार १९९९ में ‘पीटर मर्हेल्ज़’ नमक व्यक्ति ने किया….वही ‘हिंदी ब्लॉग’ या ‘हिंदी चिट्टा’ पहलीबार २ मार्च २००३ को अवतरित हुआ…इसका श्रेय श्री अलोक कुमार को जाता है जिन्होंने अपने पहला हिंदी ब्लॉग ‘नौ-दो-ग्यारह’ लिखा!
आरम्भ में हिंदी टाइपिंग की जटिलताओ के चलते काफी कम लोग हिंदी लिखते थे इसलिए हिंदी चिटठा के बचपन(२००३-२००७) में ब्लोगेर्स की संख्या भी अधिक नहीं थी परन्तु २००७ के बाद ये वृदि दर अचानक ही बढ गई………………………इसका मुख्य कारन विविध ब्लोगिंग सेवाओ में ‘इंडियन यूनिकोड’ का आना है…..इसके साथ साथ नए टाइपिंग टूल ‘ट्रांसलेशन टूल ‘ का आना है….!
आरम्भ में अधिकतर ब्लॉग व्यग्तिगत प्रकृति व विषय आधारित नहीं थे परन्तु २००७ में हिंदी ब्लोग्स की संख्या में अप्रत्याशित वृधि हुई व सिनेमा ,तकनिकी ,विज्ञानं आदि विविध विषयों पर अनेको चिट्ठे सामने आये…………………..हिंदी के प्रसिद्द ब्लॉग आलोचक और इतिहासकार ‘रविन्द्र प्रभात ‘ने कहा की…………..

“हर हिंदी ब्लोगेर की अपनी अलग पहचान है ,कोई साहित्यकार है,कोई समाजसेवी है तो कोई संस्कृत कर्मी,कोई कार्टूनिस्ट है तो कोई कलाकार….हर ब्लोगेर के के सोचने का अलग अंदाज व प्रस्तुति का अलग तरीका है…..अलग -अलग नियम है…..अलग-अलग चलन है…किन्तु फिर भी एक सद्भाव है जो आपस में सभी को जोड़ता है”

सच ही तो है की,मुझ जैसे जाने कितने हिंदी लेखन प्रेमियों के दिमाग में कौंधते नित नए विचार …व रचनाये डायरी के पन्नो में सिमटे सो जाते ,यदि लेखन की इस नयी विधा का सूत्रपात न हुआ होता…आज भी जब अपने पूर्वजो के द्वारा लिखित उत्कृष्ट रचनाओ व कृतियों को घर की पुरानी अलमारी में दीमक को चाटते हुए पाती हूँ तो मन ही मन धन्यवाद् करती हूँ लेखन की इस नयी तकनिकी को जिसने नौकरीपेशा ,व्यवसाई ,छात्र ,गृहणी युवा व वृद्ध सभी को विचारो की जंग का योद्धा बना दिया !निश्चित ही हिंदी ब्लोगिंग …हिंदी भाषा के विकास के नए आयाम स्थापित कर रही है…!
हिंदी ब्लॉग जगत अपने जन्म से ही सामाजिक विसंगतियो पर प्रहार करता रहा है….अपनी इसी कार्यप्रणाली के लिए विख्यात वर्ष २०१२-१३ के दौरान समसामाइक मुद्दों पर लिखित हिंदी ब्लोग्स की संख्या ५०००० के आंकड़े को छू गई….आज ये बात सर्वत्र स्वीकार्य है की ,आम आदमी की स्तिथि को हिंदी ब्लॉग ने जितना बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है उतना हिंदी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया भी नहीं कर पाया………………….!

अभिव्यक्ति…संप्रेषण का सशक्त माध्यम बन चुका हिंदी ब्लोगिंग ‘लाभ हानी’ की भावना से परे है यहाँ लेखक अपने विचारो की खरीद फरोक्त लागु नहीं करता…हिंदी ब्लोग्स का मूल उद्दश्य सहज एवं सरल भाषाई माध्यम से अपने विचारो को दिलो की गहराई तक पहुचाकर अपनी नयी पहचान बनाना एवं हिंदी ब्लोगेर जगत में स्वयं को स्थापित करना है…….फिर अपने लिखे हिंदी ब्लोग्स पर मिलती प्रतिक्रिया और शाबाशी तो जैसे ब्लोगेर को अपने लेखन के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का मार्ग दिखाती है…..हिंदी ब्लोगिंग का सबल पहलू यह है की,ये संपादन एवं प्रकाशन की जटिल …विषमता पूर्ण स्तिथियों से भी परे है यहाँ ब्लोगेर ही लेखक…..ब्लोगेर ही संपादक….और ब्लोगेर ही प्रकाशक होता है…!

“जैसा बोलो” “वैसा लिखो”……………..की तर्ज़ पर दौड़ी हिंदी ब्लोगिंग का भविष्य उज्जवल व समर्थ है,बस आवश्यकता है तो थोड़े से हिंग्लिशिया परिवर्तन की!हिंदी ब्लोगेर की उच्च कोटि लेखन हेतु शुद्ध हिंदी उच्चारण की महती आवश्यकता है…क्योकि यदि शब्दों का उच्चारण उपयुक्त नहीं होगा तो यूनिकोड में शुद्ध शब्द टाइप नहीं किये जा सकते…………….एक जिम्मेदार हिंदी ब्लोगेर से अपेक्षा की जाती है की बह शुद्ध,प्रभावी,तथ्य परक एवं मर्यादित ब्लोग्स ही लिखे….यह कतहि आवश्यक नहीं की गलत विषय को प्रस्तुत करने का तरीका भी गलत ही हो………….!

परिकल्पना ब्लॉग सर्वे के माध्यम से किए गए एक आंकलन के अनुसार हिंदी में राजनीति, सामाजिक मुद्दे, अध्यात्म, दर्शन, धर्म और संस्कृति से संवंधित ब्लॉग का औसत 22% है, वहीँ विज्ञान, अंतरिक्ष और इतिहास से संवंधित ब्लॉग का औसत केवल 1% । यात्रा, जीवनशैली, स्वास्थ्य, गृह डिजाइन और चिकित्सा से संवंधित ब्लॉग का औसत जहां 14 % है वहीँ समूह ब्लॉग केवल 2% के आसपास । सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस हिंदी ब्लॉगिंग को न्यू मीडिया या कंपोजिट मीडिया कहा जा रहा है उसी से संवंधित ब्लॉग अर्थात न्यूज पोर्टल और प्रिंट मीडिया के ब्लॉग का औसत केवल 5% है । कुल हिंदी ब्लॉग का 5% ब्लॉगसामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों से है ….लेकिन दिन पर दिन हिंदी ब्लोग्स की संख्या में बढोत्तरी दर्ज की जा रही है…हिंदी ब्लॉग लेखन तकनीक के आगमन से आम आदमी को अपनी बात कहने का सर्वोत्तम विकल्प प्राप्त हुआ है….आम आदमी स्वर मुखर हो रहे है!

प्राकृत -उद्गमित ,संप्रेषण युक्त एवं भावपूर्ण हिंदी भाषा के महत्त्व को भारतेंदु हरीशचंद्र जी ने कुछ यु कहा है………………….

“निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति के मूल|
बिनु निज भाषा ज्ञान के,मिटत न हिये को शूल ||
अंग्रेजी पढ़ी के जदपि,सब गुण हॉट प्रवीण |
पये निज भाषा ज्ञान बिन,रहत हीन के हीन ||
विवध कला,शिक्षा अमित,ज्ञान अनेक प्रकार |
सब देशन से लये करहु ,निज भाषा माहि प्रचार ” ||

बात स्पष्ट है की देश की उन्नति ….उसकी मातृभाषा की उन्नति में ही है….किसी भी भाषा का ज्ञान एवं उपयोग गलत नहीं है परन्तु मातृभाषा में प्रवीणता परम आवश्यक है….हमें पूर्ण आशा ही नहीं विश्वास है की ब्लॉग की दुनिया में हिंदी भाषा के आगमन से हिंदी भाषा कोई क्षति नहीं होगी बल्कि….ये हिंदी भाषा वृक्ष के विकास व उत्थान में उवर्रक का कार्य करेगा…………………….!

“जय हिन्द-जय हिंदी”

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