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एक मस्त चिड़िया उड़ रही थी आकाश मे
बे खौफ अपने कारवां के साथ मे
रंगीन चिड़िया इटलती बलखती
बैठती डालीओ पर फिर उड़ जाती
मासूम अंजान न देख पाई वो छुपा शैतान
जिस ने फैलाये थे रंगीन दाने
जो लगे चिड़िया को लुभाने
जैसे ही चिड़िया उतरी नीचे
शिकारी ने जाल के फंदे खीचे
फस गई चिड़िया ज़ोर से फड़फड़ाई
बचाओ बचाओ बहुत चिल्लाई
ले गया शिकारी उसे अपने संग
और कर दिया एक पिंजरे मे बंद
अब न आकाश था न वो उड़ान थी
धोखे का शिकार वो निरीह प्राण थी
अब न चहचहाती न गुनगुनाती
दिन रात उस शैतान से बस
आजादी की गुहार लगाती
शिकारी ने उसे समझाया
अब यही पिंजरा है तेरी किस्मत
यही गा,गुनगुना…..
सब कुछ दूंगा तुझे बस उड़ना भूल जा
लेकिन चिड़िया को नहीं भाते पिंजरे के सुख
हर सुख पर भारी था कैद का दुख
एक दिया चिड़िया ने खूब शोर मचाया
तभी शिकारी को गुस्सा आया
उसने दिये क़तर चिड़िया के सारे पर……..।
खोल दिया पिंजरा और
बोला…”ले उड़ जा”
खून से लथपथ चिड़िया फिर उडी
और पास जलते चूल्हे मे जा गिरि
हो गई भस्म
बन गई राख़
सचमुछ उड़ गई चिड़िया
लेकर उड़ने का ख़ाब……………..
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