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‘मोल’

Anshu Gupta
Anshu Gupta
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तज हीरे की चमक
कोयले पे ललचाये पिया…।
हीरा रहे अनंत..।
ये कोयला पल भर मे जल जाय पिया……।
सब जग मांगे सोना,हीरा
तुम ‘मोल’ समझ न पाये पिया……।

भर कोयले की खान मे मिलता
ज्यो रत्ती भर ‘हीरा’
लाख गोपिया हो लेकिन
बनती एक ही ‘मीरा’
पी कर जो विश का प्याला
तुम संग प्रीत निभाए पिया…।
हीरा रहे अनंत..।
ये कोयला पल भर मे जल जाय पिया……।

‘चातक’ को होती
‘स्वाति’ संग जैसी प्रीत…।
तुम बन न पाये क्यो?
ऐसे मेरे मीत…..
न पाये ‘स्वाति’ तो ‘चातक’
प्यासा ही मर जाए पिया……।
हीरा रहे अनंत..।
ये कोयला पल भर मे जल जाय पिया……।

पूर्ण समर्पण मे ज्यो
बंधे ‘पतंग’ और ‘ज्योति’
हम तुम क्यो न बांध पाये
ज्यो ‘सीपी’ और ‘मोती’
मिट कर भी वो अमर ‘पतंगा’
जो ज्योति पे मंडराय पिया………….।
हीरा रहे अनंत..।
ये कोयला पल भर मे जल जाय पिया……।

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