Anshu Gupta
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[size=8pt][/size][b]हे प्रभु! ये जानती हु मैं
नहीं दोगे तुम
जो मांगती हु मैं……….।
फिर भी मुझे है तुम्हारी शक्ति मे विश्वास
फिर भी मुझे है उम्मीद
की पूरी होगी आस
मै निरीह असहाय तुम्हारे समक्ष
स्वामी तुम देखते हो सब प्रत्यक्ष
इस लिए बस मांगती हु तुमसे ही
क्यो की तुम्हारे लिए असंभव कुछ भी नहीं
और तुम्हारे बिन संभव कुछ भी नहीं………….।
कितनी बार
मैंने खटखटाया तुम्हारा द्वार
लेकिन तुम रहे चुप
सुनकर भी मेरी गुहार
मैं लौट गई हँसते हँसते
ये सोच कर
की तुम गलत नहीं हो सकते…………………………[/b]
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