Anshu Gupta
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बेचैन हो ज़िंदगी से …।
तो बाहो मे सुला लेती है………..।
‘मौत’ वो शए है जो,
हर दर्द की हस्ती को मिटा देती है…………..।
ज़िंदगी से बड्कर
कोई वेबफा नहीं होता….।
मौत के वादे मे कोई
दगा नहीं होता………।
भटकते जिस्म को……आँचल मे पनाह देती है……
‘मौत’ वो शए है जो,
हर दर्द की हस्ती को मिटा देती है…………..।
वो न आया था..
कई बार बुलाने पर भी
आज बिन बुलाये ही आ पहुचा है
किसी काम का बहाना भी नहीं…।
पास मेरे,फुर्सत से आके बैठा है………।
जिंदगी तेरी बिसात क्या?
ये तो ‘माइयत’ है !जो सब को बुला लेती है….।
‘मौत’ वो शए है जो,
हर दर्द की हस्ती को मिटा देती है…………..।
हर गुनाह की सज़ा माफ
कर देती है….।
जिंदगी तुझ पे लगा हर
दाग साफ कर देती है….।
सजा देती है तेरी तस्वीर घर के मंदिर मे
मौत ‘इंसान’ को ‘भगवान’ बना देती है……।
‘मौत’ वो शए है जो,
हर दर्द की हस्ती को मिटा देती है…………..।
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