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‘हाथी’ की बेईमानी करके
करे ‘सुई’ का दान…………..।
एक मंदिर बनवा दिया
जब छतीस बने मकान………।
किसको सौपे डोर देश की जब सारे बेईमान………।
धर्म की रक्षा कौन करे सब की नियत मे खोट
पोथी पत्रा पल मे बदले
जब दिखलाओ 100-100 के नोट….।
किसको सौपे डोर धर्म की जब पंडित बेच रहे भगवान
मुल्ला बेच रहे कुरान…………………..।
ट्यूशन का जाल बिछाते
शिक्षक कक्षा मे नहीं पड़ाते
जाने कब व्यापार बन गया
विध्या का सर्वोपरि था दान……………..।
झूठ बोल कर बीमारों से खूब एठते पैसा
अंग निकाल के बेच रहे,
हाय समय ये कैसा
धरती का भगवान बन गया जाने कैसे हैवान…..।
घोटालो पर घोटाले
ऊपर से नीचे तक पैसा बाट रहा
देश का नेता देश को अपने
दीमक जैसा चाट रहा
पकड़े जाने पर खरीद रहा …..कानून और संविधान….।
महगाई ने कमर तोड़ di
कुछ न मिले अब सस्ता
कैसे जिये आम आदमी,
घर की घायल अर्थव्यवस्था
भूखा सोये गरीब…सड़क पर सड़ते गेहू धान…..।
कहाँ पुरुष का जीवन सुरक्षित
कहाँ स्त्री का मान
पालक झपकते लुट जाते
मरियदा और जान
चुप रहना…सब सहना…गर प्यारे है प्राण..।
क्या पायगी देश से अपने
नई उगी ये फ़स्ले
यू ही न कोसे देश को
आने वाली नसले
हम तुम करे प्रयास अगर…..तो फिर बने देश महान….।
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